अंडमान निकोबार में आतंकी अड्डे बन सकते हैं .
Posted by Kusum Thakur Sunday, November 28, 2010
देश के दक्षिण पूर्वी इलाके से भारत को निशाना बनाने के उद्देश्य से आतंकी संगठनों द्वारा अंडमान निकोबार के निर्जन द्वीपों को अपना अड्डा बनाने की आशंका है। सुरक्षा विशेषज्ञों ने 26/11 हमले में आतंकवादियों के समुद्र मार्ग का इस्तेमाल किए जाने के मद्देनजर समुद्री सुरक्षा व्यवस्था एवं खुफिया तंत्र को कारगर बनाने की वकालत की है।
इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) की हाल में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाले पूर्वी हिन्द महासागर में स्थित अंडमान निकोबार द्वीप समूह को तत्काल चीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से खतरा नहीं है, लेकिन इसके बड़ी संख्या में निर्जन द्वीपों को आतंकी संगठनों, तस्करों आदि से बड़ा खतरा है।
इंडियन डिफेंस रिव्यू के विशेषज्ञ रामतनु मैत्रेयी ने कहा कि साल 2005 के प्रारंभ में भारतीय नौसेना ने अंडमान स्थित लैण्डफाल द्वीप में म्यांमार के अराकान अलगावादियों को पकड़ा था जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। इन द्वीपों से श्रीलंकाई आतंकवादी लिट्टे के उपयोग करने की खबर भी सामने आई थी।
सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान से लगने वाली देश की पश्चिमी सीमा पर जहां भारतीय नौसेना का काफी जोर है, वहीं अंडमान सागर और पूर्वी हिन्द महासागर पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी खबरें भी आ रही है कि कई द्वीपों पर म्यांमार, बांग्लादेश आदि देशों के नागरिक अवैध रूप से निवास कर रहे हैं और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भी इस पर नजर है।
सिंह ने कहा कि यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस क्षेत्र से होकर प्रतिदिन करीब 300 टैंकर और पोत गुजरते हैं जबकि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच यह महत्वपूर्ण केंद्र पर स्थित है जिसकी दूरी भारत के मुख्यभूमि से 1,200 किलोमीटर है।
अंडमान निकोबार के सांसद विष्णुपद राय ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में करीब 572 द्वीप हैं, जिनमें से 300 से अधिक द्वीपों पर कोई आबादी नहीं है। इसमें भी डिलीपुर द्वीप से महज 32 किलोमीटर दूर म्यांमार का कोको द्वीप है जहां चीन ने अपना अड्डा बना रखा है।
उन्होंने कहा कि कई द्वीपों पर आबादी न होने के कारण आतंकवादियों और तस्करों की ओर से इन्हें अड्डा बनाने का खतरा लगातार बना हुआ है। इस क्षेत्र में सड़क एवं अन्य आधारभूत संरचना का विकास एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
राय ने कहा कि जोरवा जनजाति के संरक्षण के लिए बनाए गए अंडमान निकोबार द्वीप आदिम जनजाति संरक्षण (संशोधन) नियमन 2010 लागू होने के बाद एक बड़े क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विकास का काम रूक गया है और पोर्ट ब्लेयर से डिलीपुर तक 333 किलोमीटर सड़क निर्माण रूकने से सुरक्षा व्यवस्था एवं निगरानी कार्यों में बाधा आ रही है।
मैत्रेयी ने कहा कि पोर्ट बलेयर, हेवलॉक द्वीप, डिलीपुर, मिडल निकोबार, कैम्पबेल बे, निल द्वीप आदि में बड़ी संख्या में थाईलैण्ड, इंडोनेशिया, मलेशिया के नागरिकों के देखा जा सकता है । साल 2003 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अंडमान निकोबार में करीब 50 हजार विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे थे। इन आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर सुरक्षा विशेषज्ञों ने समुद्री सुरक्षा व्यवस्था एवं खुफिया तंत्र को कारगर बनाने पर जोर दिया है।
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