Monday, November 8, 2010

ओबामा ने अपने राष्टपति बनाने का कुछ श्रेय गाँधी जी को दिया.- ८ नवम्बर २०१०

सोमवार, ८ नवम्बर २०१०

ओबामा ने अपने राष्टपति बनाने का कुछ श्रेय गाँधी जी को दिया.

Posted by Kusum Thakur Monday, November 08, 2010

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के भारत के दावे का सोमवार को पुरजोर समर्थन किया तथा पाकिस्तान को उसकी सरजमीं पर आतंकवादी अड्डों को नष्ट करने और मुंबई हमलों के दोषियों को सजा देने की हिदायत दी। ओबामा ने अपने राष्टपति बनाने का कुछ श्रेय गाँधी जी को दिया

ओबामा ने सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की संसद के केन्द्रीय कक्ष में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका को यह देख कर खुशी होगी कि भारत सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य के आसन पर बैठे। उन्होंने संयुक्तराष्ट्र में सुधारों की वकालत करते हुए कहा कि उनका देश सुरक्षा परिषद में अधिक भूमिका निभाने के भारत के इरादे का स्वागत करता है। ओबामा की इस घोषणा का सांसदों ने देर तक तालियां बजा कर स्वागत किया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि आने वाले बरसों में भारत इस शक्तिशाली विश्व संस्था में स्थाई सदस्यता हासिल कर लेगा।

यह पहला अवसर है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्थाई सदस्यता के भारतीय दावे का खुल कर समर्थन किया है। हालांकि उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया कि भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए अमेरिका की ओर से क्या पहल होगी। पाकिस्तान से भारत विरोधी आतंकवादी कार्रवाइयों के संदर्भ में ओबामा ने कहा कि पाकिस्तानी सरजमीं पर आतंकवादी अड्डों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुंबई के आतंकवादी हमलों को बर्बर करार देते हुए उन्होंने पाकिस्तान को साफ शब्दों में हिदायत दी कि हमलावरों को कानून के कटघरे में खड़ा किया जाए। ओबामा ने विश्व में भारत की बढती हुई सशक्त भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि अब वह एक उभरती हुई ताकत नहीं है बल्कि एक ऐसी ताकत है जो अपनी साख कायम कर चुकी है। इक्कीसवीं सदी की दुनिया में शांति, सुरक्षा और समृद्धि कायम करने में भारत की भूमिका को कोई नजरंदाज नहीं कर सकता तथा आज अमेरिका इस सच्चाई को पहचानते हुए द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयां देना चाहता है।
भारत के पुराने इतिहास, विश्व सभ्यता को उसके योगदान और महात्मा गांधी के संदेश का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया में मुक्ति, संघर्ष और उपेक्षित वर्गों को न्याय दिलाने में प्रेरणा दायक भूमिका निभाई है। मार्टिन लूथर किंग पर महात्मा गांधी की शिक्षाओं के असर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस अमेरिकी महानायक ने अपने भारत भ्रमण को एक तीर्थयात्रा की संज्ञा दी थी।

अपने राष्ट्रपति बनने का कुछ श्रेय महात्मा गांधी को देते हुए उन्होंने कहा कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में वह जब संसद को संबोधित कर रहे हैं तो यह भी गांधीजी के जीवन संघर्ष का ही नतीजा है। ओबामा ने न्यूयार्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, भारतीय संसद और मुंबई आतंकवादी हमलों को जोड़ते हुए कहा कि आतंकवाद अमेरिका और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद को आतंकवादियों ने इसलिए निशाना बनाया कि यह लोकतंत्र का प्रतीक है।
आतंकवादियों के साथ पाकिस्तान की साठगांठ की ओर इशारा करते हुए ओबामा ने कहा कि आज वहां के नेता भी यह मानने लगे हैं कि आतंकवाद उनके लिए भी विनाशकारी है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान से हाल में मिल रहे सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि अल कायदा और तालिबान के उन्मूलन तक हमारा अभियान जारी रहेगा।
कश्मीर विवाद के सीधे उल्लेख से बचते हुए ओबामा ने कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता प्रक्रिया जारी रहे। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के नेताओं की आशाओं पर पानी फेरते हुए ओबामा ने इस प्रकरण में अमेरिकी मध्यस्थता से इनकार किया और कहा कि यह मुद्दा दोनों देशों के लोगों को स्वंय ही सुलझाना है।

ओबामा ने पाकिस्तान को आतंकवादी अड्डे नष्ट करने और मुंबई हमलों के दोषियों को दंडित करने की हिदायत देने के साथ ही भारत को यह नसीहत भी दी कि एक लोकतांत्रिक, समृद्ध और स्थायित्व वाला पाकिस्तान भारत के हित में है। ओबामा ने अपने संबोधन में अमेरिकी विदेश नीति के लिए सिरदर्द बने ईरान के परमाणु कार्यक्रम, अल कायदा के विश्वव्यापी नेटवर्क और म्यांमार में लोकतंत्र के दमन के मुद्दों को भी छुआ। उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के सहयोग को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को भारत से सबक लेना चाहिए जिसने दशकों से दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की मुहिम चला रखी है।

म्यांमार में हाल में संपन्न चुनावों को छलावा बताते हुए ओबामा ने आंग सान सू ची के लोकतांत्रिक आंदोलन को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी जनता की स्वाभाविक चाह है जिसकी कोई उपेक्षा नहीं कर सकता।

एक अश्वेत परिवार की मुसीबतों का सामना करने वाले ओबामा ने खुद को भारत के दलितों के साथ जोड़ते हुए कहा कि समाज के सभी लोगों को रंग, जाति और वर्ग से ऊपर उठते हुए समान अवसर हासिल करने का अधिकार है। उन्होंने भारत में दलित उत्थान में डा भीमराव अंबेडकर की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने एक समता मूलक समाज के निर्माण के लिए काम किया।

भारत और अमेरिका की समान लोकतांत्रिक विरासत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संविधान एक ही शब्दावली, वीदी पीपल, हम जनता जनार्दन से शुरू होते हैं। यही समान मूल्य और आदर्श भारत और अमेरिका को स्वाभाविक सहयोगी बनाते हैं और उनका सहयोग 21वीं सदी के सुरक्षित और समृद्ध विश्व की बुनियाद साबित होगा। ओबामा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत में लाइसेंस राज के खात्मे के बाद आर्थिक प्रगति का नया दौर शुरू हुआ है। करोड़ों लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने में सफलता मिली है तथा देश में दुनिया का सबसे बड़ा मध्यवर्ग अस्तित्व में आया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हरित क्रांति के जरिए भारत ने भूख पर विजय प्राप्त की है तथा देशवासियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की है। कृषि और उद्योग दोनों क्षेत्रों में चमत्कारी सफलता हासिल करने वाले भारत को ओबामा ने विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन की संज्ञा दी।

भारत-अमेरिका सहयोग को दोनों देशों के राजनीतिक दलों से मिल रहे समर्थन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में अलग-अलग गठबंधन वाली पिछली दो सरकारों ने मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाया जबकि अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक प्रशासन के दो प्रमुखों ने भी इसी दिशा में काम किया है। पिछले दशकों में भारत और अमेरिका के बीच विभिन्न मुद्दों पर तीखे मतभेदों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन के कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच उपजी कटुता और शीत युद्ध का दौर अब खत्म हो गया है। राष्ट्रहित को सरकार की नीतियों का आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत ही यह तय करेगा कि उसके राष्ट्रीय हित क्या हैं। इसी तरह अमेरिका भी अपने राष्ट्रीय हित तय करता है, लेकिन जिन क्षेत्रों में दोनों देशों के समान हित हैं उनमें निकट सहयोग दुनिया के हित में है।

ओबामा बिल क्लिंटन के बाद अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने संसद को संबोधित किया। केन्द्रीय कक्ष में गरिमापूर्ण उपस्थिति के बीच उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने मेहमान नेता को स्वागत किया तथा लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त किया। ओबामा के संसद भवन पहुंचने पर अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और लोकसभा अध्यक्ष ने उनकी अगवानी की।

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