Saturday, November 6, 2010

बेहतर मौकों की तलाश में घर लौट रहे हैं भारतीय-अमेरिकी

बुधवार,03 नवंबर, 2010 को 01:34 तक के समाचार


बेहतर मौकों की तलाश में घर लौट रहे हैं भारतीय-अमेरिकी

(GOOD IF AFTER GETTING HIGHER STUDIES FROM THERE,OR WORK EXPERIENCES ONE REMEMBER THEIR 'SWADESH',AND LIKE TO CONTRIBUTE IN THEIR OWN COUNTRY!!!..VIBHA)

Source: Business bureau | Last Updated 01:34(03/11/10)



उल्टी गंगा - अभी ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है लेकिन दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी नागरिक का लौटना यह दिखाता है कि कुछ दशक पहले शुरू हुआ ट्रेंड अब विपरीत दिशा में घूम गया है। भारत आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा है।

दशकों पहले उनके अभिभावक जेब में आठ डॉलर लेकर अमीर बनने का सपना साकार करने के लिए अवसरों की भूमि अमेरिका आए थे। दशकों बाद स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई है। अब उनके बेटे और बेटियां जो अमेरिकी नागरिक हैं बेहतर अवसरों की तलाश में भारत लौट रहे हैं। एक स्टडी में यह बात सामने आई है।

हालांकि अभी ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है लेकिन दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी नागरिक का लौटना यह दिखाता है कि कुछ दशक पहले शुरू हुआ ट्रेंड अब विपरीत दिशा में घूम गया है। इसके अलावा इससे एक आर्थिक ताकत के रूप में भारत का उभार भी सामने आता है जहां दुनिया भर के लोग नौकरी के बेहतर अवसर के लिए जाने की आकांक्षा रखते हैं।

माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित स्टडी के लेखक ड्यूक यूनीवर्सिटी के सोनाली जैन नेे कहा कि दूसरी पीढ़ी के प्रवासियों की छोटी संख्या पेशेवर और व्यक्तिगत कारणों से अपने माता-पिता के देश वापस जा रहे हैं या जाने के बारे में विचार कर रहे हैं। जैन ने सोमवार को प्रकाशित लेख में कहा है कि अध्ययन से पता चलता है कि अभिभावकों की मातृभूमि की उभरती अर्थव्यवस्थाएं बच्चो को वहां आर्थिक निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सकतीं हैं।

इसके अलावा बहुत से लोग अपने अभिभावकों की मातृभूमि के बारे में अधिक ये अधिक जानना चाहते हैं। अध्ययन के दौरान जैन नई दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में रह रहे ४८ दूसरी पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी पेशेवरों से बात की है। इन सभी के पास अमेरिकी नागरिकता है। भारत लौटने वाले ४८ पेशेवरों में से ८ उद्यमी थे जिन्होंने विभिन्न आकारों की अपनी कंपनियां स्थापित की थीं।

स्टडी के मुताबिक इन लोगों ने पेशेवर और स्कूल आधारित नेटवर्क का इस्तेमाल करके भारत में नौकरी हासिल कर ली है। क्योंकि वे लोग स्वतंत्र और बिना किसी निगरानी के भारत में रहने का अनुभव हासिल करना चाहते हैं।

इन सभी पेशेवरों ने कहा कि भारत में आकर्षक पेशेवर कैरियर के शानदार मौकों ने उन्हें अपने अभिभावकों के देश लौटने के लिए प्रेरित किया। ये सभी पेशेवर प्रबंधन में मध्यम से लेकर उच्च पदों पर काम कर रहे हैं। कई पेशेवरों का कहना है कि उन्हें अमेरिका में इस पद पर पहुंचने के लिए पांच या अधिक वर्ष लग जाते क्योंकि वहां उनकी उम्र और अनुभव रखने वाले व्यक्ति के लिए ऐसे अवसर उपलब्ध नहीं हैं। भारत लौटने वाले भारतीय अमेरिकी पेशेवरों ने स्वीकार किया कि रिटेल और मीडिया जैसी नई इंडस्ट्री उभरने से उन्होंने भारत में चुनौती से भर अवसर देखे। इसका एक कारण भारत में कुशल प्रतिभाओं का अभाव भी है।

एक पेशेवर ने कहा कि अमेरिका में कुछ भी खराब नहीं है। मैं भारत को अनुभव करना चाहता था और मैं खुद को पेशेवर तौर पर चुनौतीपूर्ण काम करने के अलावा खुद को व्यक्तिगत रूप से विकसित करना चाहता हूं।
भारत लौटने की उनकी इच्छा बेरोजगारी या नौकरी खोने के डर से प्रेरित नहीं है। इनमें से ज्यादातर ने भारत आने से पहले नौकरी छोड़ दी थी। जैन का कहना है कि वैश्विक आर्थिक ताकत के रूप में भारत का उभार इनके लौटने में एक अहम कारक है लेकिन यही पर्याप्त नहीं है। ये भारत इसलिए लौटे हैं क्योंकि ये भारत में अपनी पहचान, संस्कृति और विरासत ढूंढना चाहते हैं।

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