पैंतीस साल से खुद को भारतीय साबित करने में जुटा है बाड़मेर का मेगा खान
Mega Khan
बाडमेर (चन्दन भाटी) सीमावर्ती बाडमेर जिले के सरहदी गांव बाण्डासर निवासी मेगा खान पिछले 35 सालों से खुद को भारतीय साबित करने में जुटा हैं | पटवारी की एक गलती नें उसे पाकिस्तानी बना डाला। सरकार नें पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर उसकी सेकडों बीघा भूमि खालसा घोषित कर दिया। मेगा पिछले 35 सालों से अपनी खुद की जमीन वापिस पानें के लिऐं संघर्ष कर रहा हैं । इस संघर्ष के कारण मेगा ने निकाह तक नहीं किया।
बाडमेर जिले के सरहदी गांव बाण्डासर के मेगा खान पुत्र मिसरा खान की पाक सीमा से सटे इस गांव में कृषि जमीन थी। वह इस जमीन पर खेतीबाडी कर गुजारा करता था। 1975 में तत्कालीन पटवारी गडरा रोड नें एक गलत रिपोर्ट जिला प्रशासन को पेश कर लिखा कि मेगा खान पुत्र मिसरा निवासी बाण्डासर पाकिस्तान चला गया है। पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार नें मेगा की जमीन यह कह कर खालसा कर दी कि वह हमेशा के लिऐं पाकिस्तान चला गया है | जबकि मेगा कभी पाक नही गया | मेगा को जब यह पता चला कि उसकी जमीन खालसा हो गई तो उसने सरकार के इस फैसले के खिलाफ न्यायालय में अपील की । 35 साल से मेगा अपने आप को भारतीय साबित करने में जुटा है | मेगा का राशन कार्ड,वोटर कार्ड बाण्डासर का बना हैं | राज्य सरकार से उसे विकलांग पेंशन मिल रही हैं । इसके बावजूद मेगा को खुद को साबित करने में 35 साल लग गयें । जमीन वापसी की इस जंग में मेगा कानूनी दांव पेंच के आगे आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुआ। उसकों कुवारा रहना पडा। मेगा को 35 साल बाद उपखण्ड मजिस्ट्रेट शिव नें उसकी जमीन को लौटाने के आदेश दिये | तहसीलदार शिव को आदेश दिया कि मेगा की जमीन लौटा कर उसके नाम की जाकर अमल दरामद की जाये । मजिस्ट्रेट के आदेश के 6 माह बाद भी तहसीलदार नें मेगा को उसकी जमीन नही लौटाई और ना ही कोई कार्यवाही कीं | मेगा नें बुधवार को जिला कलेक्टर गौरव गोयल के आगे दरख्वास्त लगाई। जिला कलेक्टर नें उसे न्याय की आशा बंधाई हैं।
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