टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, विपक्ष भी जांच के घेरे में.
भारत की सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच 2001 से करने का आदेश दे दिया है, जिस वक्त केंद्र में एनडीए की सरकार थी. अदालत ने सीबीआई से कहा कि वह किसी से प्रभावित हुए बगैर अपनी जांच पूरी करे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश में कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की पूरी छानबीन के लिए 2001 की टेलीकॉम नीति को भी जांच की सीमा में लिया जाए. अदालत ने कहा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ही बिना किसी से प्रभावित हुए काम करें.
जस्टिस जीएस संघवी और एके गांगुली की बेंच ने साफ किया कि जांच में महत्व सिर्फ इसे दिया जाए कि कोष में से कितने पैसे का नुकसान हुआ है. इस बारे में रिपोर्ट 10 फरवरी 2011 को सुनवाई के दिन सीबीआई और ईडी सील किए हुए कवर में पेश करे. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के सीबीआई जांच के अनुरोध वाली लिखित याचिका स्वीकार नहीं करने का दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला गलत है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियिमितताओं संबंधी आरोपों के बारे काफी जानकारी इस याचिका में है जिसके आधार पर आरोपों के बारे में सुनवाई की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की रिपोर्ट और सीएजी के परिणामों की जांच निष्पक्ष रूप से किए जाने की जरूरत है. हालांकि इसके लिए किसी खास टीम की जरूरत नहीं क्योंकि सरकार इस बात के लिए राजी हो गई है कि कोर्ट की निगरानी में घोटाले जांच हो.
उधर सीबीआई ने कहा है कि तमिलनाडु और दिल्ली में छापों के दौरान उसे काफी अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं जो जांच में अहम साबित होंगे. सीबीआई की इस जांच में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय भी मदद कर रहा है.
Thursday, December 16, 2010
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