Monday, September 27, 2010
सरकार के विजन-2020 से बदलेगी चारधाम की सूरत-सूरतराम नौटियाल
पूरे देष की आस्था के प्राण और उत्तराखंड में राजस्व के बडे श्रोत के तौर पर स्थापित प्रदेष के चार धाम अर्थात यमुनोत्री,गंगोत्री,बद्रीनाथ और केदारनाथ को भी सरकार के विजन-2020 का लाभ मिलेगा और इनका विकास कर विष्व के आकर्शण का केन्द्र और प्रदेष का राजस्व बढाने की सरकार ने योजना बनाई है। इस रणनीति के तहत कई योजनाएं बनाई गई हैं और इनका क्रियान्वयन भी षुरू हो गया है। प्रस्तुत हैं इन्ही सब मुद्दों पर चारधाम विकास परिशद के उपाध्यक्ष सूरतराम नौटियाल की हिन्दुस्थान समाचार के उत्तराखंड ब्यूरो प्रमुख धीरेन्द्र प्रताप सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंष।
प्रष्न-चारधाम को लेकर सरकार की क्या योजनाएं है।
सूरतराम नौटियाल- पूरे देष की आस्था का केन्द्र विंदु और प्रदेष के राजस्व का बडा श्रोत होने के चलते चारोधाम सरकार के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन देष के जनमानस में जिस तरह का स्थान चारधाम को हासिल है वैसा विकास यहां नहीं हो सका। जिसे गंभीरता से लेते हुए सरकार ने चारधाम विकास परिशद का गठन किया। परिशद ने चारोधामों का विधिवत अध्ययन किया और इसके विकास की योजनाएं बनाई हैं। जिसका परिणाम भी दिखने लगा है। इस बार चारधाम यात्रा में रिकार्ड तोड तीर्थयात्री आ रहे है जबकि लोगों का मानना था कि महाकुंभ के तुरंत बाद आयोजित हो रही इस यात्रा में लोगों की आमद कम होगी। ऐसा सिर्फ सरकार की कोषिषों के चलते हुआ है। महाकुंभ की सफलता के तुंरत बाद सरकार ने इस यात्रा पर ध्यान लगाया और जिसका परिणाम है िक इस यात्रा में पहले की तमाम समस्याओं को समय रहते ही समाप्त कर दिया गया। उच्च स्तरीय मूलभूत सुविधाएं मसलन,पेयजल,षौचालय,परिवहन,चिकित्सा आदि सुचारू व्यवस्थाओं ने लोगों को अधिक संख्या में यहां आने के लिए आकर्शित किया।
प्रष्न-चारधाम के विकास को लेकर सरकार और क्या कदम उठा रही है।
सूरतराम नौटियाल-चारो धामों के विकास के लिए सरकार ने सबसे पहले इन्हें वित्तीय मजबूती देने की योजना बनाई है। जिसके तहत जम्मू-कष्मीर के वैश्णों देवी और अमरनाथ श्राइनबोर्ड व हिमाचल प्रदेष के चिंतपूर्णी जैसे मंिदरों की तरह विकसित करने के लिए उन्हीं के तर्ज पर मंदिर विकास एक्ट या बोर्ड गठित करने पर विचार कर रही है। इसके लिए अभी मैं स्वयं अधिकारियों की टीम के साथ वैश्णों देवी और हिमाचल प्रदेष के तीर्थ स्थलों की व्यवस्थाओं का जायजा लेकर लौटा हूं। वहां पर चिंतपूर्णी,ज्वाला जी,भद्रेष्वरी,चामुंडा देवी,समेत सभी मंदिरों की पूरी व्यवस्था सरकार के हाथ में है। वैश्णों देवी की व्यवस्थाएं भी श्राइनबोर्ड देखता है। टीम ने सभी जगह व्यवस्थाओं और एक्ट के बारे में अधिकारियों से बात की। चिंतपूर्णी हिमाचल का सबसे बडा टेंपल बोर्ड है जहां कुल आय का 40 फीसदी पुजारियों और 60 फीसदी सरकार के पास जाता है। इसी तरह वैश्णो देवी में सभी 11 पुजारी परिवार सेलरी पर काम कर रहे है। अभी पूरी टीम कर्नाटक के तिरूपति बालाजी,उडीसा के जगन्नाथ चेन्नई के रामेष्वरम् धाम भी जाएगी और वहां के व्यवस्थाओं का अध्ययन करेगी। इसके बाद अगले माह मुख्यमंत्री को अध्ययन रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इस रिपोर्ट में चारधाम विकास परिशद बद्रीनाथ,केदारनाथ,गंगोत्री और यमुनोत्री की व्यवस्थाओं को एक ही जगह स्थापित करने पर बल देगी।
प्रष्न-इस एक्ट का चारधाम और विषेश कर आम जनता को कितना लाभ होगा।
सूरतराम नौटियाल- इस एक्ट के बनने से चारो धाम की व्यस्थाएं सरकार के हाथ में आएंगी जिससे आम जनता यानि यात्रियों को सडक,पानी,बिजली,समेत तमाम सुविधाएं बेहतर ढंग से मुहैया कराई जा सकेंगी। परिशद की यह पूरी कोषिष है कि अगले यात्रा से पहले ही ये एक्ट असतित्व में आ जाए।
प्रष्न-चारांे धामों की प्रषासनिक और वित्तीय व्यवस्था पर सरकार के नियंत्रण और इस एक्ट से सबसे बडा क्या लाभ होगा।
सूरतराम नौटियाल- चारो धामों की प्रषासनिक और वित्तीय व्यवस्था सरकार के हाथ में आने पर जहां चारो धामों का समुचित विकास होगा वहीं वैश्णों देवी श्राइनबोर्ड की तर्ज पर देष विदेष से आने वाले तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। इससे पुजारियों का हित भी सुरक्षित होगा। रही बात मंदिर एक्ट की तो एक्ट बनने के बाद जो सबसे बडा लाभ होगा वो यह कि वैश्णो देवी की तर्ज पर टोकन सिस्टम षुरू होगा जिससे ऋशिकेष से यात्रियों की संख्या उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार नियंत्रित की जा सकेंगी।
प्रष्न-चारों धामों में इस साल आने वाले तीर्थ यात्रियों का कोई डाटा है आपके पास।
सूरतराम नौटियाल- चारांे धामों में इस बार आषा के अनुकूल रिकार्ड तोड यात्रियों ने आमद दर्ज कराई है। रही बात डाटा की तो बीते 9 अगस्त 2010 तक के दर्ज रेकार्ड के अनुसार 2009 में जहां 3 लाख,80 हजार,384 लोगों ने गंगोत्री दर्षन किए थे तो इस बार 9 अगस्त 2010 तक 3 लाख,47 हजार,468 यात्री दर्षन कर चुके है। इसी तरह यमुनोत्री में जहां 2009 में 3 लाख,22 हजार,864 यात्री आए तो वहीं इस बार 9 अगस्त 2010 तक 2 लाख,27 हजार,325 लोगों की आमद दर्ज की गई है। जबकि बद्रीनाथ में 2009 में 9 लाख,31 हजार,703 यात्री आए थे तो इस बार अभी तक 8 लाख,22 हजार,79 लोग आ चुके है। केदारनाथ में जहां 2009 में 4 लाख,3 हजार,353 लोग आए थे वहीं इस बार अभी तक 3 लाख,68 हजार,473 यात्री पहुंच चुके है। हेमकुंड साहिब में जहां 2009 में 2 लाख,77 हजार,86 लोग आए वहीं 9 अगस्त 2010 तक 2 लाख,35 हजार,948 तीर्थ यात्रियों की आमद दर्ज की गई है। जबकि ये यात्रा अभी नवंबर 2010 तक चलने वाली है। ये आकडे आगामी तस्वीर की स्थिति को स्पश्ट कर रहे है।
प्रष्न- चारधाम विकास परिशद का कोई ऐसा कार्य जो इस बार की यात्रा में विषेश माना जा सके।
सूरतराम नौटियाल-वैसे तो विकास परिशद ने सरकार के सहयोग से कई कार्य ऐसे कराए हैं जो इस बार की यात्रा में चारचांद लगाते है और विषेश माने जा सकते है। लेकिन फिर भी इस बार की यात्रा में पॉलीथीन पर पूर्णतः प्रतिबंध जहां सरकार की एक उपलब्धि है। वहीं व्यवस्था के तौर पर सडक,षौचालय,सीसीटीवी कैमरे,चुस्त दुरूस्त सुरक्षा व्यवस्था,मोबाईल पर बात करते हुए या चप्पल पहन कर वाहन चलाने पर रोक जैसे व्यवस्थाएं इस बार यात्रा में सरकार और परिशद की परिश्रम और गंभीरता का परिचायक कही जा सकतीं हैं।
प्रष्न-भविश्य में कोई अन्य योजना जिसका उल्लेख किया जा सके।
सूरतराम नौटियाल- देखिए सरकार का एक मात्र लक्ष्य चारो धाम समेत पूरे प्रदेष के तीर्थ और पर्यटन स्थलों का संपूर्ण और सर्वांगीण विकास करना है। इससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं बडी संख्या में पर्यटकों के आगमन से प्रदेष के राजस्व में भी बढोतरी होगी जिससे विकास के कृत संकल्पित सरकार का विजन 2020 सही मायनों में पूरा किया जा सकेगा।
प्रस्तुति-धीरेन्द्र प्रताप सिंह ब्यूरो प्रमुख हिन्दुस्थान समाचार उत्तराखंड
प्रस्तुतकर्ता dhirendra pratap singh durgvanshi पर 9:53 PM
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