भारत,चीन के बीच समुद्र में जंग के आसार.
Posted by Kusum Thakur Monday, September 19, 2011
भारत और चीन के बीच समुद्र में 'जंग' के आसार बन रहे हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। वियतनाम के अधिकार बाले ब्लॉक में साउथ चाईना सी में चीन के विरोध के बावजूद खनन जारी रखने के भारत के ऐलान पर चीन ने जवाबी प्रतिक्रिया दी है। उसने कहा है कि वह हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिम में दस हजार किलोमीटर तक अपनी खनन गतिविधियों का विस्तार करेगा। चीन ने 2011-2015 के लिए अपनी सामुद्रिक विकास नीति के तहत यह घोषणा की है। चीन का
चीन को पहले ही दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर तल के दस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अयस्क खोजने की अनुमति मिली हुई है। अब वह भविष्य में इस क्षेत्र को अयस्क धरोहर के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए चीन का समुद्री खनिज संसाधन शोध एवं विकास संघ इस साल के अंत तक अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (आइएसए) के साथ पंद्रह वर्ष के करार की तैयारी में है। चीन की समुद्री प्रशासन की प्रमुख लीउ सिगुई ने समुद्री प्रौद्योगिकी पर आयोजित एक बैठक में यह बात कही।
भारतीय नौसैनिक खुफिया महानिदेशालय ने पहले ही भारत सरकार को चेताया है कि इस करार से चीन को प्रचुर खनिज संपदा के आंकड़े जुटाने और भारत के पिछले हिस्से में अपने युद्धपोतों की आवाजाही का बहाना मिल जाएगा। चीन पहले से हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने और प्रभाव बढ़ाने में जुटा है। अमेरिकी संसद की एक हालिया रिपोर्ट में भी कहा गया है कि हिंद महासागर में अपना असर बढ़ाने की फिराक में चीन ने श्रीलंका के लिए सहायता नाटकीय ढंग से बढ़ा दी है।
विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों की नजर में चीन हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में बंदरगाह सुविधा विकसित करने के लिए अपनी नौसैन्य रणनीति के तहत श्रीलंका सरकार पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान के ग्वादार, बांग्लादेश के चटगांव और म्यांमार के सिट्टे में बंदरगाह सुविधाएं विकसित करने में मदद कर रहा है।
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