कर्मचारी पर निर्णय चुनाव आयोग ने दिया.
Posted by रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) Saturday, October 23, 2010
बिहार में सरकारी कर्मचारियों को दस प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) देने संबंधी अर्जी को चुनाव आयोग ने हरी झंडी दे दी है। परन्तु डीए भुगतान में नया पेंच लग गया है। सरकार के आला अधिकारी अब इसे सुलझाने में जुट गए हैं। ताकि राज्यकर्मियों को दीपावली या छठ से पहले महंगाई भत्ता मिल जाए। फिलहाल महंगाई भत्ते की घोषणा के लिए अभी कैबिनेट के फैसले का इंतजार करना होगा।
बिहार में चुनाव आचार संहिता को देखते हुए राज्य सरकार ने समस्त राज्यकर्मियों व पेंशनभोगियों को 10 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। सूत्रों के अनुसार इस डीए के साथ 'एरिअर" का जिक्र नहीं था। राज्यकर्मियों को जुलाई 2010 से ही महंगाई भत्ता देने की बात है। डीए के साथ जुलाई महीने से एरिअर देने का जिक्र नहीं होने से महंगाई भत्ता के भुगतान में नया पेंच फंस गया है। जिस अर्जी पर डीए जारी करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मिली है उस आधार पर राज्यकर्मियों को केवल दस प्रतिशत महंगाई भत्ता की राशि ही मिल सकती है और वह भी चालू महीने से मान्य होगी।
नए पेंच को देखते हुए जुलाई महीने का एरिअर लेने के लिए राज्यकर्मियों को कुछ और दिन इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि राज्य सरकार महंगाई भत्ता जारी करने के लिए मध्यम मार्ग भी निकाल रही है ताकि राज्यकर्मियों को दीपावली व छठ के पहले महंगाई भत्ता का लाभ मिल सके। सूत्रों के अनुसार खादी वस्त्रों पर छूट देने संबंधी अर्जी भी चुनाव आयोग ने मंजूर कर दी है। केन्द्र सरकार ने पहले ही केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए दस प्रतिशत डीए की घोषणा कर दी थी। इसी तर्ज पर राज्यकर्मियों को 10 प्रतिशत डीए देने के लिए सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। फिलहाल राज्यकर्मियों को 35 प्रतिशत डीए मिल रहा है।
नए आदेश के बाद सरकारी कर्मचारियों को 45 प्रतिशत डीए मिलने लगेगा। राज्य सरकार को 10 प्रतिशत डीए देने पर सरकार को सवा आठ सौ करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इससे पूर्व पुनरीक्षित वेतनमान वाले राज्य कर्मियों को 1 जनवरी के प्रभाव से 8 प्रतिशत डीए की मंजूरी मिली थी, जिससे उनकी महंगाई भत्ते की किश्त 35 प्रतिशत पहुंच गई थी।
राज्यकर्मियों के लिए यह सौगात त्योहारों के मौसम में दोगुना आनंद लेकर आया है। गत बुधवार को ही उनकी 59 दिनों से चल रही हड़ताल समाप्त हो गई और वे दोबारा अपने दफ्तरों में लौट आये। राज्यपाल के हस्क्षेप से कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया था।
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