प्राइवेट सेक्टर में रिश्वतखोरी होगी अपराध: प्रधानमंत्री
21 Oct 2011, 1735 hrs IST,एजेंसियां
विशेष संवाददाता ।। नई दिल्ली
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बडे़ कॉरपोरेट घरानों के घोटालों में शामिल होने पर चिंता जताई है। इसी को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को उन्होंने ऐलान किया कि सरकार कानून बनाकर प्राइवेट सेक्टर में रिश्वतखोरी को दंडनीय अपराध घोषित करने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री शुक्रवार को सीबीआई और राज्यों के एंटी करप्शन ब्यूरो के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने लोकपाल विधेयक सहित कई प्रमुख मुद्दों पर खुलकर बात की।
मनमोहन ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि की शर्तें पूरी करने के लिए हमें कुछ उपाय करने होंगे। इनमें भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाए गए कानूनों में बदलाव भी शामिल है। संधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमने संसद में विधेयक भी पेश किया है। इसकी मदद से हम विदेशी सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी को दंडनीय अपराध घोषित कर सकेंगे। निजी क्षेत्र की रिश्वतखोरी को भी दंडनीय अपराध के दायरे में लाने के लिए हम कानून में बदलाव पर विचार कर रहे हैं।
अफसरों पर लगेगी लगाम
प्रधानमंत्री ने कहा, सरकारी अफसरों के विशेषाधिकारों को कम करने के उपाय तलाशें जा रहे हैं। सार्वजनिक खरीद कानून की भी समीक्षा की जा रही है ताकि हर साल होने वाले हजारों करोड़ के सरकारी ठेकों की आवंटन प्रक्रिया से जुड़ी गड़बड़ी को कम किया जा सके।
जांच और मुकदमों में आए तेजी
प्रधानमंत्री ने सीबीआई अफसरों से कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उन्हें यह अहसास दिलाना होगा कि वे कानून से बच नहीं सकते। देर-सबेर उन्हें उनकी गलती की सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अच्छी तरह से और तेजी से होनी चाहिए। जांच के बाद ऐसे मामलों में मुकदमा भी तेजी से ही चलाया जाना चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके। सिंह ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि यदि कोई अधिकारी जांच के लिए अनुमति देने से इनकार करता है तो उसे इस इनकार की वजह अपने से ऊंचे अधिकारी को बतानी होगी।
सीबीआई की अहमियत कायम रहेगी
लोकपाल विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में एक मजबूत और प्रभावी लोकपाल का गठन हो जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि लोकपाल का स्वरूप कुछ भी हो पर हमारी प्रमुख जांच एजेंसी (सीबीआई) की महत्वपूर्ण भूमिका जारी रहेगी।
पारदर्शिता अजेंडे में सबसे ऊपर
अन्ना हजारे के आंदोलन का जिक्र करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकपाल के गठन को लेकर पिछले दिनों हुए आंदोलन ने सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के मुद्दे को हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अजेंडे में सबसे ऊपर ला दिया है। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि मुद्दा समाज और राजनीति में संतुलन लाएगा और देश का भला करेगा।
इससे पहले सीबीआई के निदेशक ए.पी. सिंह ने सीबीआई को और अधिकार दिए जाने की मांग की। उन्होंने सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने का भी विरोध किया।
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