Thursday, August 25, 2011

सूरज भी भटक गया था ......अपने रास्ते से एक बार

सूरज भी भटक गया था ......अपने रास्ते से एक बार
उनके
कहने में
मत आना
सूरज भी
भटक गया था
......अपने रास्ते से
एक बार
वे मृगतृष्णए हैं
ऋतुएँ नहीं-
अपनी ही रचना के
बंधन को जो
सहर्ष करे
स्वीकार |

(written by one of my facebook friend--i liked it)

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