सूरज भी भटक गया था ......अपने रास्ते से एक बार
उनके
कहने में
मत आना
सूरज भी
भटक गया था
......अपने रास्ते से
एक बार
वे मृगतृष्णए हैं
ऋतुएँ नहीं-
अपनी ही रचना के
बंधन को जो
सहर्ष करे
स्वीकार |
(written by one of my facebook friend--i liked it)
Thursday, August 25, 2011
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