Sunday, September 13, 2009

ABOUT MY ADITI FOUNDATION

Tuesday, 7 October 2008
AIMs AND OBJECTIVE
Posted by Aditi Foundation at 18:53:00 Links to this post
ADITI 'The infinite' is a goddess of sky, the past, the future and fertility. She is also the mother of Hindu Gods. For us ADITI means 'A RAY OF HOPE'. Aditi is a movement of awakening. It is a mission to chrun our society and make people more humane. It is revolution of awareness to spread humanity and self respect in each person to inspire and motivate them to become self-reliant. Thus our motto is to make our society free from three 'P's- Psychological, Physical, and Professional problems and provide respect,love, and dignity to all. It can only happen when all of us work together hand in hand and think about making every individual healthier, progressive, skillful, more humane, full of self respect...and self-reliant. As wise people say, "Boond-Boond se Samundra banta hai', each and every effort will make this world a better place to live in. This would be our contribution to our humanity.

ADITI FOUNDATION is a National level development organization, registered as an Indian Charitable trust, initiated by a group of energetic young professionals including young hearted senior citizens from different fields. The foundation is willing to support women, children and senior citizen centric health and education, welfare initiatives of individuals and NGO's all over India.

India's economy is galloping with 8% GDP growth. But 17million children of the country work as laborers. Improving women's maternal health and literacy are critical to building stronger families and communities. Here in India, twice as many women as many are illetrate, and girls are still less likely than boys to attend a primary school. In the country, more than 100,000 Indian women die in pregnancy and child birth each year. And over 5million children and adults are living with HIV/AIDS here.

Is only the government responsible for every problem under the Sun?

The desired changes in the society will come only when more and more privileged with a desire to bring about changes start participating pro-activily in "solution-finding" process.

It's just the begining of Aditi Foundation. Hence, we are trying to work on projects on education, health care, girl child, livelihood and advocacy. Aditi Foundation wants to work together with women's leaders, communities, organizations and government ministries and private sector(Corporate Social Responsibility) here to change the mindset of the entire humanity and give underprivileged tools to live a healthy and self-reliant life.

Aditi Foundation will also provide a platform to the young artists to showcase their talent. It will bring writers, musicians, dancers, theatre personalities, painters, etc. under one umberella. Because, ultimately, they all stand for the common people.
बदलती परिस्थितियां
Posted by Aditi Foundation at 09:52:00 Links to this post
परिवार और समाज में नारियों का स्थान और उनके अन्तरंग और बहिर्रंग व्यक्तित्व की दृष्टी से यदि हम विश्व का इतिहास देखें, तो विभिन् कालों में नारियों की बदलती स्थितियों का हमें सहज ही पता चल जाएगा। हमें ऐसा सुनने को मिलता है की बहुत प्राचीन काल में नारी प्रधान परिवार हुआ करते थे। ऐसे परिवारों से यूक्त समाज मात्र सत्तात्मक समाज कहलाता था। आज भी केरल में और पूर्वोतर राज्यों में ऐसे परिवार मिल जाते हैं। फिर क्रमश: ऐसा युग आया जब परिवार में कार्य शेत्र का स्पष्ट: बंटवारा हो गया। नारियों को घर के समस्त कार्य सौँप दिए गए और पुरूष ने अपना कार्य-शेत्र बाहर चुन लिया। परिणाम यह हुआ की धीरे-धीरे पुरुषों का महत्त्व बढ़ने लगा और स्त्रियाँ सिर्फ़ घर की शोभा मात्र रह गयी। आधिकारों की दृष्टि से नारियों के पिचाद
जाने का प्रधान कारन शायद यही रहा होगा। आज भी हम पाते हैं की जिन् स्त्रियों का कार्य शेत्र सिर्फ़ घर तक सीमित है, वे अपेक्षाकृत परतंत्र है, और जो स्त्रियाँ किसी न किसी रूप में घर से बाहर अपना कार्य शेत्र ढूँढ लेती है, वे कहीं अधिक स्वतंत्र हो जाती हैं अथवा होने की शमता पैदा कर लेती हैं। नारीओं की स्थिति में हेरफेर का यह कारन इसलिए भी उपयुक्त प्रतीत होता है, क्योंकि कोई दूसरा कारन इतना महत्वपूर्ण नज़र नहीं आता। सालों से महिलाओं की बिगड़ती स्थिति और अन्याय से बचाव के लिए तमाम महिला संस्थ्यें सामने आयी हैं पर वे पुरा कार्य नहीं कर पायीं हैं। स्त्री का शारीरिक, मानसिक, और मनोवैज्ञानिक शोषण से बचाव हो, इसके लिए ज़रूरी है की पूरा परिवार अपनी सोच में परिवर्तन करे, या परोख्स रूप से कहें, तो समाज की सोच में ही परिवार्त्न हो। आंकडों के मुताबिक, उत्तेर्प्रदेश महिलाओं के उत्पीडन में सबसे आगे है। नेशनल फॅमिली हैल्थ के हाल के आंकड़े बताते हैं की तकरीबन पचास प्रतिशत पुरूष महिलाओं को उत्पीडित करते है। दहीज के लिए टांग करना, मरना, लिंग भेध्भाव भी वहां ज़्यादा है, पर यह सामान्तया पुरे उत्तर भारत में है। शैक्षिक, आर्थिक, व् सामाजिक विकास में भी उनके साथ भेदभाव ज़ाहिर तौर पर है। प्रतिदिन के उत्पीडन से महिलायें एकदम से नहीं मरती, तिल-तिल कर मरती है, और हर तरह से पंगु बन जाती हैं।

आख़िर इस समस्या का कोई निदान है क्या ? क्या महिला सस्थाएं न्यायालयों में महिलाओं को न्याय दिला कर इन समस्याओं का निदान कर सकती है ?

मैंने अपने कुछ मित्रों से कुछ सवाल पूछे.उनके जवाब का लब्बो -लुबाव था "इस्त्रियों का आत्मनिर्भेर होना मुख्य वजह है पारिवारिक कलह की । जो दायीत्व समाज ने स्त्री और पुरूष के लिए बाँट दिए गए हैं , उसका निर्वहन न कर के पुरूष और स्त्री दोनों पुरूषओचित हो रहे हैं । वैसे भी , पुरूष का स्त्रियन होना सम्भव नहीं ।"

मुझे लगा जब तक पुरूष अहंकार बीच में आता रहेगा , परिवारों में बिखराव आता रहेगा एक और महिला मनोव्य्ज्ञानिक रूप से पंगु होती रहेगी ।

आज ज़रूरत है ऐसी संस्थाओं की जो स्त्री ही नही , पुरुषों के मन की व्यथा भी सुनें और उन्हें परामर्श दे की किस तरह घर में महिला को स्नेह व् इज्ज़त देते हुए मददगार पति , भाई , पिता की भूमिका निभाएं । साथ ही , इस पीढी की परवरिश ऐसे ढंग से हो जहाँ बेटे -बेटियों में भेदभाव न हो और दोनों में समान मानसिकता डालते हुए घर -बाहर के कार्य सिखाये जायें । संभवत: तभी स्थितियों में बदलाव होगा और देश का भविष्य उज्जवल होगा , और यही हमारा समाज के लिए योगदान होगा ।

विभा तैलंग ९.१०.2008

Sunday, 5 October 2008
दिनकर जी 'कुरुषेत्र ' में
Posted by Aditi Foundation at 19:23:00 Links to this post
आशा के प्रदीप को जलाये चलो धरमराज,
एक दिन होगी मुक्त भूमि रनभीती से
भावना मनुष्य की न राग में रहेगी लिप्त ,
सेवित रहेगा नही जीवन अनीति से

हार से मनुष्य की न महिमा घटेगी और
तेज न बढेगा किसी मानव की जीत से
स्नेह बलिदान होंगे माप नरता के एक ,
धरती मनुष्य की बनेगी स्वर्ग प्रीती से .'
सुमित्रा नंदन पंत जी की पंक्तियाँ
Posted by Aditi Foundation at 18:54:00 Links to this post
कौन बनाता है ये समाज

महाभाव की स्वर संगति में, गूँथ विश्व को,

एक नया अलोक उतरता , भू आँगन पर।

नए रक्त से हृदये शिरयिएँ होती झंकृत

अंतर का उन्मेष लाँघ बाधा के पर्वत

नव समाज को देता जन्म डूबा स्वार्थों को,

नई ज्योति लिखती मानव के जीवन मन की

गाथा, अभिनव भावों के इतिहास पृष्ट पर.

हमारा पहला सेमिनार
Posted by Aditi Foundation at 02:48:00 Links to this post
शुरू से सुनती और देखती आई थी परमार्थ करना और सेवा करना मनुष्य का धरम है। बचपन से ही दूसरो की मदद के लिए हाथ बढाती रही। बिहार में अक्सर बाढ़ आया कराती, गर्ल गाइड थी, श्रमदान करने और खाना, कपडे एकाठा करने का आदेश मिलता था। कॉलेज पहुँची तो अन्सिसी में भरती हुई। रक्तदान करना, विकलांग सहेलियों के पढाई में मदद करना, सिलसिला जारी रहा। भोपाल गैस त्रासदी के दौरान चित्राषा नाम की संस्था बनाई थी। सुधिरजी मौके पर चित्र बनाकर बेचते और पैसे एकाठा करते थे। इतने वर्षों में अनेकों बार राष्ट्रीय आपदाएँ आयीं। हमने स्वयं या किसी संस्था के साथ मिलकर अपना योगदान दिया।अपने मुहल्ले में एक महिला संस्था के साथ जुड़ी, पदाधिकारी भी बनी. अदिति भी अपने स्कूल में नेबरहुड प्रोजेक्ट से जुड़ी थी। बाबूजी वृद्ध लोगों की संस्था से जुड़े है। ३० सितेम्बर २००८ को शाम ६ से ९ बजे दिल्ली के आई आई सी सभागार में अदिति फाउंडेशन का पहला सेमिनार हुआ। वक्ता थे श्री अशोक वाजपयी, श्री विनोद नारायण झा, डॉ नरेश त्रेहन, डॉ रंजना कुमारी और श्री ब्रिजेन्द्र रेही। सेमिनार में बातचीत का विषय था 'क्या स्वयमसेवी संस्थाए आम लोगों के साथ मिल कर दुनिया की तस्वीर बदल सकती है? हमारा मकसद था दिल्ली की सभी स्वयमसेवी संस्थायें एक जत के नीचे मिलकर इस विषय पर सोचे की, जिनके लिए , जिस मकसद से काम किया जा रहा है , वो लाभ लोगों को मिल पा रहा है या नही. आख़िर लोग प्रत्यक्ष रूप से या पारोख्श रूप से भी इससे जुड़े महसूस करते हैं या नहीं? समाज में बदलाव तो सभी की सहभागिता से हो सकती है। जो काम करतें हैं उनसे, और जिनके लिए काम हो रहा है उनसे। कहते हैं न 'बूँद बूँद से समुद्र बनता है'। आयोजन को प्रायोजित किया था हिन्दी अख़बार दैनिक भास्कर ने।
हमारा मिशन
Posted by Aditi Foundation at 02:26:00 Links to this post
अदिति फाउंडेशन का स्वास्थ्य और शिक्षा मिशन है- सब के लिए स्वास्थ्य व् शिक्षा का साधन जुटाना। ऐसा तभी संभव है जब लोगों मे इसे पाने की ललक और जानकारी हो, उसके फायदे पता हों और उन्हें पाने का तरीका भी पता हो । वे अपने हक के लिए लड़ सके। हम कोशिश करेंगे की लोगों को इकठा करे या उन तक पहुंचे , उन्हें जागरूक करे और उनमें यह अलख जगाये कि वे स्वास्थ्य व् शिक्षअ को प्राथमिकता दे। इसके लिए हम उन्हें हर सम्भव सुविधाए मुहैया कराने कि कोशिश करेंगे और उनके अनुकूल माहौल बनायेगे, विशेषकर पिछडों के लिए चाहे वे किसी भी समुदाय, वर्गे, जाति, लिंग या धर्म के हों.
OUR TEAM
Posted by Aditi Foundation at 02:01:00 Links to this post
MANAGING TRUSTEE
Smt VIBHA TAILANG

TRUSTEE
SHRI SUDHIR TAILANG

TRUSTEE
SHRI S.K.TAILANG

TRUSTEE
Smt MADHURI TAILANG

TRUSTEE
Ms ADITI TAILANG

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