खंडित मूर्ति की पूजा क्यों नहीं करते?
Dharm Desk Ujjain
sks_ujn_53_310ईश्वर की भक्ति में भगवान की मूर्ति का अत्यधिक महत्व है। प्रभु की मूर्ति देखते ही भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव स्वत: ही उत्पन्न हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान की प्रतिमा पूर्ण होना चाहिए कहीं से खंडित होने पर प्रतिमा पूजा योग्य नहीं मानी गई है। खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन माना गया है। प्रतिमा की पूजा करते समय भक्त का पूर्ण ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। अत: ऐसे में यदि प्रतिमा खंडित होगी तो भक्त का सारा ध्यान उस मूर्ति के उस खंडित हिस्से पर चले जाएगा और वह पूजा में मन नहीं लगा सकेगा। जब पूजा में मन नहीं लगेगा तो व्यक्ति की भगवान की ठीक से भक्ति नहीं कर सकेगा और वह अपने आराध्य देव से दूर होता जाएगा। इसी बात को समझते हुए प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों ने खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन बताते हुए उसकी पूजा निष्फल ठहराई गई है।
(MERE VICHAAR SE YEH BRAHNTI ISLIYE FAILAIYE GAYEE HAI TAAKI LOG MURTIYAAN NA TODEIN....VAISE BHI APSHAKUN, SANSKAR V CHARITRA, BHAVNAON AUR PREM,KAM, VASNA,VASTALYA,SNEH,AASHISH...YEH BAHAAS BAHUT VYAPAK HAI AUR ISSE HAMARE DHARMA,MYTHOLOGY,ITIHAAS,PURAANON MEIN...SAHITYON,LOK KATHAON,DAANT-KATHAON, KISSE-KAHANIYON MEIN ALAG-ALAG DHANG SE VYAKTA KIYA GAYA HAI...ISSE CHICHALE AUR SANKIRN MANSIKTA RAKH KER NAHIN TAULNA CHAHIYE-THODA VAIGYANIK TARK KO KASAUTI BANANA CHAHIYE...VIBHA)
Wednesday, June 2, 2010
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