मुलायम की टिप्पणी से मुसलमान खफा
लखनऊ, ( 17:57 IST )
अयोध्या मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव की सीधी आलोचना मुसलमानों को पसंद नहीं आई है। अधिकांश मुस्लिम नेताओं की राय है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी को संयम बरतना चाहिए और किसी को भी ऐसी कोई बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, जो राजनीति से प्रेरित लगती हो और जिससे माहौल के बिगड़ने की आशंका हो।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य और ईदगाह के नायब इमाम मौलाना रशीद फिरंगी महली ने कहा कि पूरे देश में दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं, राजनेताओं और मीडिया ने इस संवेदनशील मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी और संयम का परिचय दिया है। यह रुख आगे भी बना रहना चाहिए और किसी को भी ऐसी कोई टिप्पणी नही करनी चाहिए, जो राजनीति से प्रेरित लगती हो और जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका हो।
फिरंगी महली ने कहा कि संघ परिवार से लेकर सभी ने अब तक परिपक्वता का परिचय दिया है और यह संयम पूर्ण व्यवहार आगे भी बना रहना चाहिए और ऐसी कोई बयानबाजी नही होनी चाहिए, जिससे फिरकापरस्त ताकतों को हरकत में आने का मौका मिलता हो।
यह कहते हुए कि हालाँकि उच्च न्यायालय के फैसले से मुस्लिम समुदाय के लोगों में मायूसी का भाव है, फिरंगी महली ने जोर देते हुए कहा कि देश के व्यापक हित को देखते हुए हर एक को संयम बरतना चाहिए और ऐसी प्रतिक्रिया से बचना चाहिए, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द और अमन में खलल पड़ने की आशंका हो।
फिरंगी महली की ही तरह इस्लामी शोध संस्थान दारूल मुसिन्नफीन के मौलाना मोहम्मद उमर ने कहा कि हालाँकि उन्होंने (मुलायम ने) मुस्लिम समुदाय की भावनाओं की ही बात कही है। मगर टिप्पणी करने के लिए यह समय उचित नहीं है।
शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मिर्जा अतहर ने कहा कि ऐसे समय जब हर आदमी समाज में अमन और शांति बनाए रखने की कोशिश में है और मुलायम जैसे बड़े नेता की तरफ से आए इस तरह के बयान से आश्चर्य होता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी अदालती मामले में एक पक्ष जीतता है, दूसरा हारता है और जब उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का रास्ता खुला है और विवाद को आपसी सहमति से सुलझा लेने का विकल्प भी सामने है तो इस तरह की टिप्पणी गैरजरूरी लगती है।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक अन्य सदस्य एवं प्रतिष्ठित शिया उलेमा मौलाना हमीदुल हसन ने यादव के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। हालाँकि उन्होंने भी कहा कि सभी को संयम का परिचय देना चाहिए और ऐसी किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए, जिससे सांप्रदायिक एकता खंडित होने की आशंका हो।
गौरतलब है कि शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव ने एक बयान जारी करके कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आस्था को कानून तथा सबूतों से ऊपर रखा है और देश का मुसलमान इस निर्णय से खुद को ठगा-सा महसूस कर रहा है। (भाषा)
Saturday, October 2, 2010
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